Reserve Bank of India (RBI) 11 दिसंबर मंडे को एक नोटिस जारी किया है मिसालीडिंग एडवर्टाइजमेंट कैंपेन के ऊपर जो की loan waivers को ऑफर करता है। आरबीआई ने पब्लिकली एक अनाउंसमेंट किया है और सभी लोगों को सटक करने की कोशिश किया है इस नोटिस के माध्यम से। इस नोटिस के माध्यम से रिजर्व बैंक बहुत कुछ कहा है अनऑथराइज्ड लोन विवर्स के बारे में जो कि अभी सोशल मीडिया जैसे प्लेटफार्म के माध्यम से बहुत ही ज्यादा फैल रहा है।
RBI alert notice
अभी के टाइम पर सोशल मीडिया बहुत ही ज्यादा पावरफुल एक प्लेटफॉर्म बन चुका है जिसके ऊपर अनगिनत लोग हर समय अवेलेबल रहता है। इसलिए इस सोशल मीडिया को इस्तेमाल करके ऐसे अनऑथराइज्ड एडवर्टाइजमेंट दिखाया जा रहा है जो कि लोगों को मिस लेट कर रहा है।
रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया है इस नोटिस में बहुत कुछ कहा है, लोगों को बहुत ही शक रहने की रिक्वेस्ट किया है। सोशल मीडिया पर अनऑथराइज्ड लोन विवर्स ऐड बहुत ही ज्यादा चल रहा है जिसमें फास्ट जा रहा है। इसलिए आरबीआई का कहना है कि किसी भी अनऑथराइज्ड लोन ओवर से दूर रहे क्योंकि इससे आपकी धनराशि खो सकते हो। “There are reports of such entities charging a service/legal fee for issuing ‘debt waiver certificates’ without any authority.”
आरबीआई इस नोटिस के माध्यम से एक मैसेज दिया है जहां पर लिखा है “ये संस्थाएं प्रिंट मीडिया के साथ-साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी ऐसे कई अभियानों को सक्रिय रूप से बढ़ावा दे रही हैं। ऐसी संस्थाओं द्वारा बिना किसी अधिकार के ‘ऋण माफी प्रमाणपत्र’ जारी करने के लिए सेवा/कानूनी शुल्क वसूलने की खबरें हैं।”
आरबीआई ने इस नोटिस में यह भी कहा है कुछ ऐसे लोकेशन को नोटिस किया गया है जहां पर इस तरह के काम बहुत ही बड़ा मात्रा में हो रहा है और लोगों को इस वजह से सावधान रहने के लिए चेतावनी दी है। यह एडवर्टाइजमेंट कैंपेन कुछ लोगों के द्वारा चलाई जा रही है ऐसा कहना है और कुछ ऐसे चिन्हित भी किया है।
“यह भी हमारे संज्ञान में आया है कि कुछ स्थानों पर, कुछ व्यक्तियों द्वारा अभियान चलाए जा रहे हैं, जो बैंकों से ली जाने वाली प्रतिभूतियों पर अपने अधिकारों को लागू करने के बैंकों के प्रयासों को कमजोर करते हैं। ऐसी संस्थाएं गलतबयानी कर रही हैं कि बैंकों समेत वित्तीय संस्थानों का बकाया चुकाने की जरूरत नहीं है। ऐसी गतिविधियां वित्तीय संस्थानों की स्थिरता और सबसे बढ़कर, जमाकर्ताओं के हित को कमजोर करती हैं। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि ऐसी संस्थाओं के साथ जुड़ने से प्रत्यक्ष वित्तीय नुकसान हो सकता है।” आरबीआई बोला है।